चाईबासा : रोरो माइंस के प्रभावितों को इलाज और पीएफ देने के लिए कैम्प लगाकर किया गया चिन्हित
चाईबासा में बुधवार को जिला प्रशासन द्वारा रोरो माइंस के प्रभावित गांव तिलाइसूद में कैम्प लगाकर 347 कर्मियों को पीएफ देने और फेफड़े रोग से ग्रस्त पाये गये 60 कर्मियों को इलाज के लिए चिंन्हित किया गया. जिनके इलाज के लिए झारखंड सरकार पूरी खर्च करेगी. वहीं करीब 35 साल बाद रोरो माइंस के 347 कर्मियो और आश्रितों को न्याय मिल रहा है, जिससे ग्रामीणों में खुशी की लहर है.
बता दें कि चाईबासा पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दुर रोरो माइंस के प्रभावित तिलेयासुद गांव के ग्रामीणों में 35 साल बाद चेहरे पर खुशियां लौटी हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट ने चाईबासा के बंद रोरो माइंस के कर्मियों या उनके आश्रितों को पीएफ और अन्य सुविधा देने का आदेश झारखंड सरकार को दिया है. साथ रोरो माइंस प्रबंधन पर प्रदूषण फैलाने के आरोप में जुर्माना लगाने का आदेश भी दिया है. एनजीटी कोर्ट के इस आदेश से बंद रोरो माइंस के 347 कर्मियों अथवा उनके आश्रित को 35 साल के बाद न्याय मिल पाएगा. इसको लेकर रोरो माइंस के पूर्व कर्मियों ने खुशी जाहिर की है.
गौरतलब है कि एनजीटी कोर्ट ने एक सुनवाई के बाद राज्य के मुख्य सचिव को यह आदेश दिया है कि बंद रोरो माइंस के पूर्व कर्मियों को उनका बकाया पीएफ भुगतान कराया जाय, जो बीमार है उनका इलाज कराया जाय और इस क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने के लिए दोषी माइंस कंपनी हैदराबाद एडबेस्टर लिमिटेड पर जुर्माना लगाया जाय. एनजीटी कोर्ट के इस आदेश पर आज जिला प्रशासन द्वारा रोरो माइंस के प्रभावित गांव तिलाइसूद में कैम्प लगाकर 347 कर्मियों के पीएफ देने और 60 कर्मियों के इलाज के लिए चिंन्हित किया गया. (संतोष वर्मा की रिपोर्ट)
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