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छपरा : कोविड-19 के चिकित्सीय प्रबंधन के लिए सदर अस्पताल को मिलेंगे दो वेंटिलेटर मशीन

छपरा में वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है. लोगों को अस्पताल में बेहतर से बेहतर सुविधा मिले, इसको लेकर नई-नई योजना बनाई जा रही है. इसी कड़ी में कोराना संक्रमण में हो रही बेहताशा वृद्धि के कारण मरीजों को सहायता मुहैया कराने के मद्देनजर छपरा सदर अस्पताल में दो और वेंटीलेटर लगाने का निर्णय लिया गया है. इससे कोरोना मरीजों को अस्पताल में इलाज के दौरान परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

बता दें कि इसको लेकर राज्य स्वास्थ समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र जारी किया है एवं इसे सुनिश्चित कराने के लिए बीएमएसआईसीएल के निदेशक को जिम्मेदारी सौंपी है. पत्र के मुताबिक भारत सरकार से प्राप्त 264 वेंटिलेटर्स को आवश्यकता अनुसार राज्य के सभी अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेज में वितरण कराने को कहा गया है. इनमें जिले के सदर अस्पताल को दी वेंटीलेटेर मशीनों की आपूर्ति करानी है. यहां पर पहले से भी दो वेंटिलेटर मशीन उपलब्ध है.

सांस संबंधित मरीजों के लिए वेंटिलेटर बेहद जरूरी :

प्रभारी सिविल सर्जन डॉ अजय कुमार शर्मा ने बताया वेंटिलेटर साँस संबंधित मरीजों के लिए बेहद जरूरी है. इसके सहारे गंभीर से गंभीर सांस से संबंधित मरीजों को बचाया जा सकता है. इस संबंध में बीएमएसआईसीएल से जल्द समन्वय स्थापित कर जिला अस्पताल में वेंटिलेटर मशीनों को लगाये जाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जायेगी. कोरोना के संक्रमितों के लिए यह काफी उपयोगी सिद्ध हो सकेगा.

वेंटिलेटर क्या है :

बहुत सरल भाषा में कहें तो यह एक मशीन है, जो ऐसे मरीजों की जिंदगी बचाती है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ है या खुद सांस नहीं ले पा रहे हों. यदि बीमारी की वजह से फेफड़े अपना काम नहीं कर पाते हैं तो वेंटिलेटर सांस लेने की प्रक्रिया को संभालते हैं. इस बीच डॉक्टर इलाज के जरिए फेफड़ों को दोबारा काम करने लायक बनाते हैं.

कितने तरह के होते हैं वेंटिलेटर :

वेंटिलेटर मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं. पहला मेकेनिकल वेंटिलेशन और दूसरा नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन. मेकेनिकल वेंटिलेटर के ट्यूब को मरीज के सांस नली से जोड़ दी जाती है, जो फेफड़े तक ऑक्सीजन ले पहुंचाती है. वेंटिलेटर मरीज के शरीर से कार्बन डाइ ऑक्साइड को बाहर खींचता है और ऑक्सीजन को अंदर भेजता है. दूसरे प्रकार के वेंटिलेटर को सांस नली से नहीं जोड़ा जाता है, बल्कि मुंह और नाक को कवर करते हुए एक मास्क लागाया जाता है, जिसके जरिए इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है.

कोरोना मरीजों के लिए क्यों जरूरी है वेंटिलेटर :

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोविड-19 से संक्रमित 80% मरीज अस्पताल गए बिना ठीक हो जाते हैं. लेकिन छः में से एक मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है और उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है. ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है. फेफड़ों में पानी भर जाता है, जिससे सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है. साथ ही शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है. इसलिए वेंटिलेटर्स की आवश्यकता होती है. इसके जरिए मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को समान्य बनाया जाता है. (सेंट्रल डेस्क).

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