सीवान : पिता की मौत पर क्वारेंटाइन सेंटर में भर्ती पुत्र को जाने की नहीं मिली अनुमति, ग्रामीणों ने किया अंतिम संस्कार
सीवान में कोरोना महामारी को लेकर उत्पन्न विषम परिस्थिति के कारण एक अत्यंत ही दुःखद और इंसानी बेबसी का नजारा देखने को मिला. घटना जिले के पचरुखी थाना क्षेत्र के पचरुखी टोला की है जहां पिता की मृत्यु के बाद अपने घर से महज चार सौ मीटर की दूरी पर रहे उसके पुत्र को मुखाग्नि देना तो दूर पिता के अंतिम दर्शन करना तक नसीब नहीं हुआ.
बता दें कि पचरुखी टोला निवासी साहेब मांझी का पुत्र संतोष मांझी घर के खर्चे को चलाने के लिए दूसरे राज्य में जाकर नौकरी करता था. कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के कारण वह प्रदेश में ही फंस गया था. जैसे-तैसे उसे घर आने की अनुमति मिली और पिछले छः मई को वह सीवान पहुंचा. लेकिन गृह जिला पहुंचने के बाद उसे प्रशासन द्वारा नियमानुसार उसके प्रखंड पचरुखी स्थित हाई स्कूल में बने क्वारेंटाइन सेंटर में 14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन पर रख दिया गया. इसी बीच आठ मई को अचानक साहेब मांझी की तबियत खराब हो गयी. जिसके बाद स्थानीय चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया. पिता के बीमार होने की खबर सुन घर से महज चार सौ मीटर की दूरी पर क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहा संतोष मांझी पिता और घरवालों से मिलने के लिए छटपटाने लगा, लेकिन प्रशासनिक अनुमति नहीं मिलने से चाह कर भी वह अपने घर नहीं जा सका.
रविवार को पीएमसीएच में इलाज के दौरान हार्ट अटैक से साहेब मांझी की मौत हो गयी. जिसके बाद अंतिम संस्कार के लिए उसके शव को वापस गांव लाया गया. पिता की मौत की खबर सुन क्वारेंटाइन सेंटर में बंद पुत्र संतोष मांझी घर जाने के लिए तड़पने लगा. उसने पुत्र होने के नाते पिता को मुखाग्नि देने की बात कहते हुए क्वारेंटाइन सेंटर के अधीक्षक से लेकर वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों से गुहार लगाई. वहीं घर वालों के साथ-साथ पूरे गांव के लोगों ने भी स्थानीय बीडीओ व थाना प्रभारी से भी गुजारिश की लेकिन, किसी ने भी उनकी फरियाद नहीं सुनी. स्थानीय पत्रकारों ने इस बाबत जब बीडीओ से बात करने की कोशिश की तो उनका मोबाइल नॉट रिचेबल हो गया. थकहार कर गांव के लोगों ने ही मृतक साहेब मांझी का अंतिम संस्कार कर दिया और क्वारेंटाइन सेंटर में बंद संतोष अपने पिता को मुखाग्नि देना तो दूर उनके अंतिम दर्शन को भी तरसते रह गया.
यह अकाट्य सत्य है कि किसी भी इंसान की जिंदगी के पीछे सबसे ज़्यादा मां और पिता की भूमिका अहम होती हैं. प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने से क्वारेंटाइन सेंटर में बंद संतोष मांझी को जहां अपने पिता के अंतिम दर्शन तक नहीं करने का मलाल है वहीं उसके और उसके घरवालों के साथ-साथ पूरे पचरुखी टोला के ग्रामीण प्रशासन को ही कोस रहें हैं. लेकिन, हकीकत है कि इस वैश्विक महामारी कोरोना ने इंसान को इस कदर विवश कर डाला है कि अब लोगों के लिए रिश्ते निभाना भी मुश्किल होता जा रहा है. (विजय राज की रिपोर्ट).
Comments are closed.