सीवान में मरहूम रेल कर्मचारी ठाकुर प्रसाद की याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित
कुमार विपेंद्र
“राहे मंजिल में कुछ एेसे निशान पाँव के वे छोड़े हैं कि जिन्हें देखकर उनकी हमेशा याद आती है.” कुछ ऐसा ही कहना है सीवान के रेल मजदूरों का. सीवान के दर्जनों रेल कर्मचारी ठाकुर प्रसाद की चर्चा करते-करते रुआंसे हो उठते हैं. शनिवार को ठाकुर प्रसाद की याद में रेलवे कर्मचारियों द्वारा एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी.
रेल मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ने वाले ठाकुर प्रसाद का जन्म 28 अगस्त 1927 को सीवान जिले के नौतन प्रखंड के मराछी गांव में हुआ था. ठाकुर प्रसाद के संबंध में बताया जाता है कि वे शुरू से ही दबे कुचले व जरूरतमंद लोगों की आवाज बुलंद करते रहे. शिक्षा पूरी होने के बाद ठाकुर प्रसाद ने रेलवे में स्टेशन अधीक्षक की नौकरी ज्वाइन कर ली. नौकरी के लंबे सफर के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब वे रेल कर्मियों के हितों की रक्षा हेतु रेल यूनियन से जुड़े और कई जबरदस्त आंदोलन भी किये. ठाकुर प्रसाद की प्रबल नेतृत्व की क्षमता को देखते हुए कई लोग उनके साथ हो चले और कारवां बनता चला गया. इस कड़ी में वेद प्रकाश सिन्हा, बाबू जयनारायण सिंह रामप्रवेश राम और सांसद सुर्यनारायण सिंह भी ठाकुर प्रसाद के साथ हो लिए. ठाकुर प्रसाद के मिलनसार प्रवृति के कारण हर कोई उनसे आसानी से घुल मिल जाता था. रेल कर्मी ठाकुर प्रसाद को प्यार से ‘ठाकुर बाबू’ कहकर संबोधित करते थे. इनके नेतृत्व में जितने भी आंदोलन हुए सभी धारदार व सफल रहे.
ठाकुर बाबू 58 वर्ष की उम्र में गोपालगंज के हथुआ से सेवानिवृत्त हो गए. उसके बाद सीवान के सिसवन ढाला स्थित लक्ष्मीपुर में वे अपने मकान पर रहने लगे और सामाजिक सरोकार से जुड़कर जनसेवा में लग गए. ठाकुर बाबू का निधन इस वर्ष 16 अगस्त को हो गया. वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनके पुत्र राजन कुमार ने बताया कि श्राद्ध संस्कार 20 अगस्त को सीवान स्थित आवास पर होगा.
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