सीवान : महाराजगंज में आपसी सौहार्द के साथ त्याग व बलिदान का महापर्व मोहर्रम संपन्न
शाहिल कुमार
सीवान के महाराजगंज में इस्लामिक हजरत इमाम हुसैन की शहादत में मनाया जा रहा महापर्व मुहर्रम शांति पूर्ण व आपसी सद्भाव के साथ सम्पन्न हो गया. मुहर्रम में निकलने वाले ताजिया जुलूस में या अली या हुसैन के नारों से शहर गुंजयमान हो गया.
बता दें कि शहर से होकर लगभग एक दर्जन आखाड़ा गुजरे और स्थानीय आरबीजीआर कॉलेज के मैदान में पहुँचे. लोग अपने पारम्परिक हथियार लाठी, भाला, तलवार लेकर जुलुस में शामिल थे. लाठी, भाला और तलवार से करतब दिखाने वाले लोगों का जमवाड़ा लगा रहा. अपने शौर्य का बेहतर प्रदर्शन करने वाले लोगों को शहर के विभिन्न सरकारी आखाड़ा कमिटी ने पुरस्कृत किया. शहर में दोपहर से ताजिया जुलुस निकलना शुरू हुआ, जो दूर शाम तक चलता रहा.
शहर के पुरानी बाजार, काजी बाजार, मोहन बाजार, पसनौली, बंगरा, धनछुआ, पकवलिया, सवान आदि जगहों से जुलुश निकला जो शहर का भ्रमण करते हुए कॉलेज परिसर पहुँचा. जहाँ मोहर्रम के दौरान रोजेदारों के लिए रोजा खोलने और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई थी। हाजी रफीक अहमद ने इस पर्व के सम्बंध में बताया कि मुहर्रम की एक अपनी दर्दनाक कहानी है. एक समय सन 60 हिजरी का था. जब एक बड़े स्थान को कर्बला के नाम से जाना जाता था. जहाँ यजीद इस्लाम का सबसे बड़ा शाहंशाह बनना चाहता था. शाहंशाह बनने के लिए उसने पूरे आवाम में खौफ फैलाना शुरू कर दिया था. सभी को अपने सामने गुलाम बनाने के लिए उसने तरह तरह के यातनायें दी थी. लेकिन उसके तानाशाह के आगे हजरत मुहम्मद का वारिस इमाम हुसैन और उनके भाईयों ने घुटने नहीं टेके और जमकर मुकाबला किया और शहीद हो गए.
जुलुस को शांतिपूर्ण और सदभाव के साथ सम्पन्न कराने के लिए नखाश चौक पर प्रशासन और शांति समिति के सदस्य सक्रिय रहे. वहीं पुलिस गाड़ी की गाड़ी जुलुस की मॉनिटरिंग समय समय करती रही. असमाजिक तत्वों से निपटने के लिए पुलिस परे तौर से अलर्ट रहीं. इधर मोहर्रम को लेकर एसडीओ मंजीत कुमार, एसडीपीओ हरीश शर्मा, थानेदार निरंजन कुमार चौरसिया, पुलिस इंस्पेक्टर वाहिद नट, बीडीओ नन्द किशोर साह आदि जुलुश पर पैनी नजर बनाए हुए थे. शांति व्यवस्था बनाये रखने में रफीक अहमद, प्रमोद रंजन,अफसर खान, हरिशंकर आशीष,राजेश अनल, रिज्वानुल्लाह उर्फ टुन्ना, शक्ति शरण प्रसाद, महम्मद मुस्लिम, विनोद कुमार लीला, टुनटुन कुमार, रौशन अली, जगदीश सिंह, राजकिशोर गुप्ता, लाडले खान, आफताब खान, असरफ अली खान,आदि दर्जनों लोग प्रशासन का सहयोग कर रहे थे.
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