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गोपालगंज : पर्याप्त संसाधनों के अभाव के कारण संस्थागत प्रसव के आंकड़े में आई कमी

राजेश कुमार

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राज्य में संस्थागत प्रसव को सरकार द्वारा व्यापक स्तर पर कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही है, ताकि अस्पतालों में चिकित्सकों की देखभाल में सुरक्षित प्रसव कराया जा सके. लेकिन सरकार की तमाम कोशिश के बावजूद गोपालगंज में संस्थागत प्रसव में महिलाओं की दिलचस्पी नहीं देखी जा रही है. जिस कारण जिले में संस्थागत प्रसव की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है.

बता दें कि यहां योजना का लाभ पाने को लेकर अस्पताल में पंजीकरण तो कराया जा रहा है लेकिन प्रसव कहीं और कराया जा रहा है. इस स्थिति के लिए सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था काफी हद तक जिम्मेदार है. मौजूदा हालात पर जारी नीति आयोग की रिपोर्ट ने स्वास्थ्य व्यवस्था को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. बिहार जैसे बड़े राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर नीति का आयोग का दावा है कि यहां लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने में स्वास्थ्य विभाग दिन प्रतिदिन पिछड़ता जा रहा है. संस्थागत प्रसव को लेकर नीति आयोग ने खुलासा किया है कि अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था संतोषजनक नहीं है. खास कर संस्थागत प्रसव को बढ़ावा नहीं मिल रहा है.

स्वास्थ्य विभाग द्वारा अधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार गोपालगंज जिले में अब तक संस्थागत प्रसव का आंकड़ा करीब 45 से 50 प्रतिशत रहा है. संस्थागत प्रसव के आंकड़े में कमी होने का एक मुख्य वजह स्वास्थ्य केंद्रों पर पर्याप्त साधन एवं कर्मियों की कमी भी देखी जा रही है. जिले के अधिकांश प्रखंडों के सुदूर इलाकों में एंबुलेंस एवं पर्याप्त यातायात का साधन नहीं रहने के कारण महिलाएं स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं पहुंच पाती हैं. ऐसे में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं कि जिले में जिले के अस्पतालों में काफी कम संख्या में एंबुलेंस उपलब्ध है. ऐसे में महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र तक लाने की सुविधा नहीं मिल रही है.

जिले के विजयीपुर, पंचदेवरी, सिधवलिया तथा जादोपुर सहित कई सुदूर इलाकों में पर्याप्त संसाधन के अभाव में संस्थागत प्रसव का आंकड़ा काफी कम दिखता है.

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