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गोपालगंज : अलविदा की नमाज़ अदा

राजेश कुमार

https://youtu.be/dZrVR3BA6lc

गोपालगंज में अल्लाह की रहमते और इनायतों के माह रमजान में शुक्रवार को तमाम मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की गई. अलविदा के नमाज में तमाम मस्जिदों में लोगों की भीड़ उमड़ी रही. प्रशासनिक स्तर पर अलविदा की नमाज को लेकर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे. इस बीच हर इलाके में कड़ी चौकसी रखी गई.

जामा मस्जिद के इमाम बताते है कि रमजान के दिनों में इंसान रब की बंगदी की खातिर उन चीजों को छोड़ देता है, जो उसके लिए रमजान के अलावा महीनों में हलाल और जायज है. लेकिन बड़ी अफसोस की बात है कि कुछ लोग वो काम बदस्तूर करते रहते है. जो आम हालात में भी उसके लिए नाजायज और हराम है. जैसे झूठ बोलना, पीठ पीछे किसी की बुराई करना, रिश्वत वगैरह है, जो हर हाल में हराम है. यदि वह न छोड़े तो भला ऐसा रोजा इंसान की रोहानी तरक्की में और मददगार कैसे हो सकता है.

इमाम बताते है कि अल्लाह की रजा और खुशमदीह के लिए जब कोई भूख -प्यास के लिए तकलीफ रहता है, तो उसे अपने गरीब भाइयों की भूख सहने की तल्खियों का एहसास होता है. कमजोर की बेबसी और मोहताज की गम के कसक उसके सीने में महफूज होती है. जब इंसान खुद उस राह से गुजरता है तो लोगों की मशक्कत और तकलीफ उसके लिए जाति तजुर्बा बन जाता है. अब वो इंसान के अंदर गरीबी की गरीबी और मोहताज के मोहताजगी उसके अंदर असर कर जाती है, तो वे पनाह अल्लाह की इबादत की ख्वाहिश पैदा कर जाती है. वे बताते हैं कि इस माह में कोई बंदा अल्लाह तआला से अपनी हाजत और जरूरत पूरी करने की मांग करता है तो उसकी मांग पूरी की जाती है. रोजी-रोटी, औलाद, व्यवसाय और सेहत में बरकत व गुनाहों की माफी तो इस असरे में जरूर ही पूरी होती है मगर शर्त यह है कि दिल से मांगा जाए.

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