बेगूसराय ने रचा इतिहास, बिहार में सबसे अधिक वोट से जीते गिरिराज सिंह
नूर आलम
देशभर में चर्चित बेगूसराय लोकसभा में एक बार फिर ना केवल राष्ट्रवाद का नारा बुलंद हो गया है. बल्कि गिरिराज सिंह ने बेगूसराय लोकसभा में जीत के सभी रिकॉर्ड को बहुत पीछे छोड़ते हुए बिहार में सबसे अधिक वोट से जीत दर्ज किया है. यहां के मतदाताओं ने आजाद देश में आजादी और समाजवाद के नारा को पूरी तरह से नकार कर प्रखर राष्ट्रवादी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर एकतरफा विश्वास जताया. जिसके कारण गिरिराज सिंह अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चर्चित छात्र नेता और सीपीआई प्रत्याशी कन्हैया कुमार को चार लाख 22 हजार 217 वोट से हराकर कमल पर कब्जा बरकरार रखने में कामयाब हो गए.
बता दें कि गिरिराज सिंह को छः लाख 92 हजार 193 वोट मिले. जबकि, जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दो लाख 69 हजार 976 वोट तथा महागठबंधन के प्रत्याशी तनवीर हसन को एक लाख 98 हजार 233 वोट से संतोष करना पड़ा. शेष प्रत्याशियों में सौरभ को 18638 वोट, उमेश पटेल को 4172 वोट, शंभू कुमार सिंह को 10019 वोट, मकसूदन पासवान को 3194 वोट, गौरव कुमार को 1880 वोट, अमर कुमार को 2560 वोट तथा धीरज नारायण को 4278 वोट मिले. जबकि 20445 मतदाताओं ने किसी प्रत्याशी को पसंद नहीं कर नोटा को वोट दिया.
मतदाताओं ने केन्द्र और बिहार सरकार के जनकल्याणकारी तथा विकास योजनाओं को देखकर गिरिराज सिंह के पक्ष में एक तरफा वोटिंग किया. कन्हैया कुमार और तनवीर हसन को मिले वोट को जोड़ भी दें तो गिरिराज सिंह को मिले वोट से काफी कम ही है. इससे पहले प्रथम राउंड की गिनती के साथ बेगूसराय समेत पूरे देश में एनडीए का क्लीन स्वीप देखते ही कार्यकर्ताओं खुशी की लहर फैल गई तथा जश्न शुरू हो गया.
गौरतलब है कि आठ सितम्बर 1952 को बड़हिया में रामावतार सिंह एवं तारा देवी के घर पैदा हुए गिरिराज सिंह मगध विश्व विद्यालय से स्नातक हैं. लंबा राजनीतिक अनुभव तथा देश विदेश में राष्ट्रवादी विचारधारा और हिन्दुत्व के प्रखर नेता के रुप में चर्चित गिरिराज सिंह 2002 से 2014 तक विधान परिषद के सदस्य रहे. इस दौरान बिहार के एनडीए सरकार में 2008 से 2010 तक सहकारिता मंत्री तथा 2010 से 2013 तक पशु एवं मत्स्य संसाधन विकास मंत्री रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह नवादा से सांसद चुने गए. जिसके बाद इन्हें केन्द्र सरकार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय का मंत्री बनाया गया. भाकपा ने जब बेगूसराय से जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को प्रत्याशी घोषित किया तो एनडीए की ओर से भाजपा ने यहां से गिरिराज सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया. जिसके बाद पार्टी समेत कई अन्य स्तर पर विरोध के बाद भी उन्होंने 2014 में भोला बाबू द्वारा खिलाये गए कमल को ना केवल तरोताजा रखा, बल्कि अब तक के सभी चुनावों में जीत के रिकार्ड को बहुत पीछे छोड़ दिया. गिरिराज सिंह का घर भले ही गंगा के पार है, लेकिन बेगूसराय से पुराना नाता रहा है. ननिहाल एवं फुआ का घर रहने के कारण उन्होंने स्कूली शिक्षा के साथ राजनीति की शुरुआत भी बेगूसराय से की है.
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