Abhi Bharat

नवादा : बेटी ने दारोगा बन माँ-बाप का सपना किया पूरा

सन्नी भगत

नवादा जिले की एक और बेटी ने बुलंदियों का छुआ है. जिले के रोह प्रखंड क्षेत्र के मड़रा गांव निवासी योगेन्द्र प्रसाद की पुत्री कोमल रानी दारोगा बन गई है. महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाने वाली इस होनहार बेटी पर न सिर्फ परिजन बल्कि पूरे गांव को नाज है. वहिंऊंचाइयों को छूकर जिले का मान बढ़ाने वाली बेटियों में अब कोमल रानी का नाम भी जुड़ गया है.

कोमल रानी ने दारोगा बनकर अपने पापा के अधूरे सपने को पूरा कर दिया. चार बहनों में तीसरे नंबर पर कोमल ने बताया कि उसके पिताजी योगेन्द्र कुमार सिंह 1994 में दारोगा की लिखित परीक्षा व शारीरिक जांच में पास हो गए थे. लेकिन मौखिक परीक्षा में उन्हें सफलता नहीं मिली. जिससे वह काफी निराश रहने लगे. हताशा का आलम यह रहा कि वह शिक्षित बेरोजगार का ठप्पा लगाए जीवन गुजारने लगे. खेतीबारी के सहारे किसी प्रकार चार बेटी व एक बेटे की परवरिश की. आर्थिक तंगी से परेशान पापा हमेशा कहते थे. काश ! मैं दारोगा बन गया होता तो परिवार का भरण-पोषण अच्छे तरीके से होता. पापा के इसी अफसोस को देख-सुनकर कोमल ने दारोगा बनने की ठानी.

कोमल ने बताया कि उसके बड़े पापा वीरेन्द्र कुमार सिंह दारोगा भी बनना चाहते थे. मगर वह भी दारोगा नहीं बन सके. पापा और बड़े पापा के सपनों को उसने पूरा करने का संकल्प लिया ओर मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए सपोर्ट किया. उनके इसी सपोर्ट और मनोबल के चलते आज मैं इस मुकाम पर हूं.

रोह इंटर विद्यालय से 2011 में मैट्रिक पास करने के बाद कोमल दारोगा की तैयारी में जुट गई. मां कंचन माला हमेशा कोमल की हौसला आफजाई करती रही. नतीजा पहले ही प्रयास में महज 24 साल की उम्र में कोमल ने दारोगा बनकर पापा के अधूरे सपने को पूरा कर दिया. अपनी सफलता से वह इलाके की साधारण परिवार की लड़कियों केलिए प्रेरणास्रोत बन गई है. कोमल ने कहा कि वह दारोगा के रूप में गरीब, बेबस लोगों की सहायता करेगी. साथ ही अत्याचार से पीड़ित महिला को न्याय दिलाने का काम करेगी. कोमल की इन उपलब्धियों पर पूरे गांव को मान है.

You might also like

Comments are closed.