चाईबासा : झामुमो जिला सचिव ने जिले में खनन घोटाला का लगाया आरोप
संतोष वर्मा
चाईबासा में माइनिंग विभाग के कार्यशैली पर सवाल उठ रहे है. वहीं झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के जिला सचिव सोनाराम ने आरोप लगाया है कि मेसर्स रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्रालि को पश्चिमी सिंहभूम जिला अन्तर्गत हाटगम्हरिया प्रखंड के मौजा इलिगाड़ा में वर्ष 2015 से अगले 10 वर्षों के लिए फर्जी ग्राम सभा के आधार पर पत्थर खनन का पट्टा दिया गया. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत माँगी गई सूचना से इस बात का पता चला है.
ज्ञातव्य है कि पश्चिमी सिंहभूम जिला अन्तर्गत हाटगम्हरिया प्रखंड के मौजा इलिगाड़ा में खाता सं 02, प्लाॅट सं 70 कुल रकवा 4.54 एकड़ पर वर्ष 10 जुलाई 2015 से अगले दस वर्षों की अवधि के लिए पत्थर खनन का पट्टा मेसर्स रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्रालि, 702, पंचवटी प्लाजा, कचहरी रोड, राँची को दिया गया है.
झामुमो जिला सचिव सोनाराम देवगम ने 17 जनवरी 2019 को जिला खनन पदाधिकारी, पश्चिम सिंहभूम से उक्त खनन पट्टा की स्वीकृति के सम्बन्ध में सूचनाधिकार अधिनियम के तहत सूचना माँगा था. जिला खनन पदाधिकारी द्वारा दिए गए सूचना में, उक्त खनन पट्टा की स्वीकृति के लिए दाखिल आवेदन के बाबत ग्राम सभा कार्यवाही की रिपोर्ट का अवलोकन करने पर इस सम्बन्ध में कई गड़बड़ियों का पता चला. जिसमे जिला खनन कार्यालय ने उक्त खनन पट्टा के लिए दाखिल आवेदन के बाबत अंचल अधिकारी से दिनांक 11 नवम्बर 2014 को पत्रांक 1745/एम दिनांक 14 अक्टूबर 2014 के द्वारा अद्यतन ग्राम सभा सहमति का माँग करने पर अंचल अधिकारी, हाटगम्हरिया ने अपने पत्रांक 09 दिनांक 12. 01. 2015 के द्वारा जो ग्राम सभा कार्यवाही का प्रतिवेदन समर्पित किया है उसमें ग्राम सभा कार्यवाही का तिथि 9 जनवरी 2014 अंकित है, अर्थात इस सम्बन्ध में अंचल अधिकारी को, खनन कार्यालय का पत्र निर्गत होने के दस माह पूर्व ही उक्त ग्रामसभा का कार्यवाही सम्पन्न करा लिया गया था. उक्त ग्राम सभा कार्यवाही में अंचल कार्यालय का कोई प्रतिनिधि तथा कोई भी स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित नहीं थे. उक्त ग्रामसभा कार्यवाही में अंकित हस्ताक्षरों का अवलोकन करने से पता चलता है कि 95% ग्रामीणों का हस्ताक्षर फर्जी है जो किसी एक ही व्यक्ति द्वारा किए गए हैं. उक्त ग्राम सभा कार्यवाही का कोई फोटोग्राफी उप्लब्ध नहीं है.
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा पश्चिमी सिंहभूम जिला समिति मांग किया है कि उक्त खनन पट्टा की स्वीकृति के सम्बन्ध में किए गए सभी कार्यवाही का उच्चस्तरीय जाँच कर अविलम्ब उक्त खनन पट्टा को रद्द किया जाए. साथ ही इस मामले में दोषी सभी लोगों पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित किया जाए. संभावना है कि उच्चस्तरीय जाँच में और भी कई गड़बड़ियों का पता चलेगा.
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