बेगूसराय : आश्रयहीन बच्चों में पति-पत्नी जगा रहें शिक्षा का अलख, प्लेटफॉर्म पर लगाते हैं पाठशाला
नूर आलम
सभी बच्चों को स्कूली शिक्षा दिलाने के लिए राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक विभिन्न योजनाएं चला रही है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम, बाल संरक्षण कानून लागू किया गया. सैकड़ों राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय संस्थान काम कर रही है. कागज पर सभी बच्चे स्कूल चले भी गए हैं. लेकिन, इन सारी कवायद के बाद भी देश में लाखों बच्चे रेलवे लाइन के सहारे जी रहे हैं. बिहार में सिर्फ बरौनी से पटना तक करीब 22 सौ ऐसे बच्चे हैं जिनका नाम है ‘प्लेटफार्म का कल्लर.’
गौरतलब है कि इनके दर्द जानने वालों ने डीएम, सीएम, पीएम को आवेदन भेजा. लेकिन कारवाई नहीं हुई. जिसके बाद बरौनी निवासी अजीत कुमार ने अपनी पत्नी शबनम मधुकर के साथ मिलकर कुछ ऐसा किया कि आज एक छोटा सा प्रयास एक मिसाल बन गया है. अजित और शबनम ने ‘प्लेटफार्म कल्लर’ कहे जाने वाले इन बच्चों की दशा सुधारने के लिए एक पाठशाला की शुरुआत की.
बरौनी जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर छः-सात के टीपीटी शेड में चल रहे इस पाठशाला में ‘प्लेटफार्म के कल्लर‘ रोज प्रार्थना, चेतना सत्र के बाद योग करते हैं. इसके बाद शुरू होती है गीत संगीत और पहेली के माध्यम से क्लास. अजीत एवं शबनम 2013 से विभिन्न रेलवे प्लेटफार्म पर मुफलिसी की जिंदगी गुजार रहे सैंकड़ों अनाथ, बेसहारा, आश्रयहीन बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रहे हैं.
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