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चाईबासा : आसुरा लैंपस घोटाले में उपायुक्त के आदेश के बावजूद अब तक एफआईआर नहीं

संतोष वर्मा

चाईबासा के झींकपानी प्रखंड अंतर्गत आसुरा लैंपस घोटाले में उपायुक्त के आदेश के बाद भी पिछले दो सालों से एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. यह घोटाला करीब दो वर्ष पूर्व हुआ था.

बता दें कि विभागीय जांच में करीब आठ लाख रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई. इसकी ऑडिट भी हुई थी. हालांकि विभागीय सूत्र बताते हैं कि गबन की वास्तविक राशि इससे भी कहीं अधिक है. बाद में झींकपानी की जिला परिषद सदस्य चांदमनी बलमुचू ने इसकी शिकायत सबसे पहले तत्कालीन सदर एसडीओ से फिर दीशा मीटिंग में तत्कालीन उपायुक्त से की थी. उपायुक्त ने इस पर संज्ञान लेते हुए चाईबासा को-ऑपरेटिव विभाग को इसकी जांच कर एफआईआर का आदेश दिया था. लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी एफआईआर नहीं करवाई गई है. उस समय लैंपस के अध्यक्ष रमेश बोयपाई तथा सचिव घासीराम गोप थे. चांदमनी बलमुचू ने इन्हीं दोनों के खिलाफ शिकायत की थी. उपायुक्त के आदेश पर हुई विभागीय जांच में वृद्धावस्था पेंशन राशि में घोटाला उजागर हुआ था. इसकी ऑडिट भी की गई थी. इसमें भी गड़बड़ी सामने आई. इसके बावजूद एफआईआर नहीं होना संदेह को जन्म दे रहा है.

वहीं सूत्र बताते हैं कि इस पेंशन घोटाले की प्राथमिकी दर्ज न हो, इसके लिए अलग-अलग स्तर पर खूब लीपा-पोती की गई. खुद आरोपियों ने पेंशन की राशि गबन करने की बात स्वीकारते हुए राशि भरपाई करने की लिखित जानकारी विभाग को देकर एफआईआर रूकवाई थी. लेकिन बाद में यह भरपाई नहीं की गई. फिर उपायुक्त के स्तर से एफआईआर का आदेश हुआ. लेकिन फिर इस बार भी अपनी पहुंच के बल पर आरोपियों ने एफआईआर रुकवा दी. इधर उसी समय उपायुक्त का तबादला हो गया. फिर आरोपियों को लीपापोती के लिए समय मिल गया. वहीं जिला परिषद सदस्य चांदमनी बलमुचू ने एक बार तो दीशा मीटिंग में उपायुक्त के समक्ष नाराजगी भी जाहिर की थी कि एफआईआर में विलंब क्यों हो रहा है. उन्होंने एफआईआर नहीं होने पर मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में शिकायत की धमकी भी दी थी. इसके बावजूद एफआईआर नहीं हुई. झींकपानी लैंपस घोटाले में शिकायत की गई थी. उसके खिलाफ तो एफआईआर हो गई. लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी आसुरा लैंपस के मामले में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर नहीं होना संबंधित पदाधिकारियों की भूमिका को भी संदिग्ध बना रहा है.

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