सीवान : महाराजगंज अनुमंडल कार्यालय में वकीलों ने जड़ा ताला
शाहिल कुमार
सीवान के महाराजगंज अनुमंडल में अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय की स्थापना की माँग को लेकर अधिवक्ता संघ के द्वारा चल रहे धरना प्रदर्शन के आठवें दिन सोमवार को आक्रोशित अधिवक्ताओं ने अनुमंडल कार्यालय में तालाबंदी कर दिया.
बता दें कि व्यवहार न्यायालय शुरू करने की माँग को लेकर अधिवक्ता संघ पिछले एक सप्ताह से अनुमंडल कार्यालय परिसर के मुख्य गेट पर न्यायिक कार्य को बाधित कर धरना प्रदर्शन दे रहें है. परंतु स्थानीय विधायक को छोड़ सरकार के कोई भी पदाधिकारी अधिवक्ताओं की माँगों पर सुधी तक नहीं लिया. अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय की स्थापना की मांग को लेकर अधिवक्ता संघ पिछ्ले ढ़ाई दशक से आन्दोलन करते आ रहे है. इसके लेकर मशाल जुलुस, बाजार बंदी के साथ कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके है फिर भी बिहार सरकार की कानो पर जूं तक नही रेंग रहा है.
गौरतलब है कि 1 अप्रैल 1991 को सीवान जिला के छ: प्रखण्ड महाराजगंज, बसन्तपुर, भगवानपुर हाट, गोरीयाकोठी, लकड़ी नबीगंज और दरौंदा प्रखण्ड को मिला कर महाराजगंज को अनुमंडल हुआ. अनुमंडल का दर्जा मिलने के बाद आज तक यह अनुमंडल पुर्ण स्वरूप में नहीं बन सका. यहाँ से जितने जनप्रतिनिधि हुए सभी ने आश्वासनो की घुट ही पिलाया. वहीं हाईकोर्ट के आदेश पर अनुमंडल कार्यालय सह चंद्रशेखर पुस्तकालय में तत्काल अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय की उदघाटन की तिथि 25 मई 2015 को निर्धारित की गई थी, परंतु एक दिन पूर्व अपरिहार्य कारणो से व्यवहार न्यायालय का उदघाटन रद्द कर दिया गया.
सरकर के द्वारा न्यायालय को लेकर 6 से 8 एकड़ जमीन अधुगृहीत भी कर लिया गया था. यहाँ तक कि व्यवहार न्यायालय को लेकर सरकार के तरफ से तीन कर्मचारियों की पोस्टिंग है जो आज भी कार्यरत है. अधिवक्ता संघ के सचिव दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि अधिवक्ता पिछले एक सप्ताह से धरना दे रहे हैं लेकिन विधायक को छोड़ कर कोई भी हमलोगों को अभी तक सुधी तक नहीं ली गई. व्यवहार न्यायालय की स्थापना को लेकर मंगलवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरु होगा. व्यवहार न्यायालय की स्थापना को लेकर हमें अपनी प्राणो की आहुति भी देना पड़ेगा तो अधिवक्ता संघ अब पिछे नहीं हटेगा.
मौके पर अधिवक्ता पीपी रंजन द्विवेदी, अधिवक्ता रश्मि कुमारी अखिलेन्द्र सिंह, करुणाकांत सिंह, रबिन्द्रप सिंह, के.के.सिंह, अनील सिंह, गजेन्द्र सिंह, चितरंजन सिंह, ओमप्रकाश, राजकशोर शर्मा, रविकांत उपाध्याय, मिथलेश कुमार प्रेमकुमार सहित सैकड़ो अधिवक्ता के साथ समाजसेवी संगठन के लोग शामिल थे.
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