पटना : सुपौल में पत्रकार पर हमला करने वाले पुलिसकर्मियों पर प्रेस परिषद ने सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग की
बिहार डेस्क
सूबे के सुपौल में बुधवार को छात्र राजद के प्रदर्शन के दौरान समाचार संकलन करने गये स्थानीय पत्रकार नजीर आलम पर पुलिसिया हमले की पत्रकार प्रेस परिषद ने कड़ी निंदा की है.
पत्रकार प्रेस परिषद के प्रदेश अध्यक्ष मधुरेश प्रियदर्शी ने आज एक बयान जारी कर कहा कि सूबे बिहार में पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं. आये दिन यहां पत्रकारों पर हमले और उनकी हत्याएं हो रही है, फिर भी सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी मौनी बाबा बने हुए हैं. प्रदेश अध्यक्ष ने सुपौल के घायल पत्रकार की बेहतर चिकित्सा सरकारी खर्च पर राजधानी पटना के किसी नीजी अस्पताल में कराने एवं इस घटना के दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. श्री प्रियदर्शी ने कहा कि अगर एक सप्ताह के अंदर दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गयी तो पत्रकार प्रेस परिषद आंदोलन पर उतारू होगा.
पत्रकार नजीर आलम पर हुए हमले को पत्रकार प्रेस परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष आनंद ठाकुर, अमरेश कुमार, प्रदेश महासचिव प्रभाष कुमार, प्रदेश सचिव समीर सरकार, शिवशंकर चौधरी, शशिकांत सिंह एवं रामबालक ठाकुर सहित कई अन्य पत्रकारों ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर कुठाराघात की संज्ञा दी है.
आपको बता दें कि बुधवार को सहरसा जाने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का काफिला सुपौल से सहरसा के लिए सड़क मार्ग से निकला. इस दौरान छात्र राजद के कार्यकर्ताओं ने कोशी में एम्स की स्थापना की माँग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. छात्र राजद समर्थकों ने लोहिया नगर चौक के समीप सीएम के काफिले का मार्ग अवरुद्ध करने की भी कोशिश की. इसी क्रम में पुलिस बल द्वारा जमकर लाठियां चार्ज किया गया. पुलिसिया लाठीचार्ज से कई लोग घायल भी हो गये. इस दौरान समाचार संकलन कर रहे स्थानीय पत्रकार नजीर आलम को भी पुलिस ने नहीं बख्शा. उन्हें गहरी चोटें लगी हैं. घायल पत्रकार की चिकित्सा तत्काल में सुपौल में ही की जा रही है. इस घटना को लेकर कोशी क्षेत्र सहित सूबे बिहार के पत्रकारों में भारी आक्रोश है.
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