बेगूसराय : लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर बाजार की बढ़ी रौनक, लोगों ने की जमकर खरीदारी
पिंकल कुमार
https://youtu.be/D8OP3qaOG1w
बेगूसराय में आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन सोमवार को जिला मुख्यालय स्थित बाजारों में ग्राहकों का सैलाब उमड़ पड़ा. रात्रि में खरना पूजन और छठ पूजन के लिए लोगों ने जमकर खरीदारी की, भीड़ इतनी अप्रत्याशित थी की पूरी तरह से ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई और जगह-जगह जाम सा नजारा देखने को मिला. छठ पूजा को लेकर फलों के दाम आसमान छूते नजर आए ,लेकिन कुछ फल ऐसे भी रहे जिनकी अधिकता के कारण दाम नीचे गिर गिर गए.
बता दें कि सोमवार की सुबह से ही खरीदारों की भीड़ जिला मुख्यालय स्थित बाजार पहुंचने लगी और देखते ही देखते चारों ओर सिर्फ और सिर्फ छठ से संबंधित सामानों की बिक्री और ग्राहक नजर आने लगे. दूसरी ओर छठ घाटों की साफ-सफाई को लेकर आम लोग और जिला प्रशासन काफी सजग नजर आया. खासकर के जिले के सबसे प्रतिष्ठित घाट, रिफाइनरी स्थित छठ तालाब पर खूबसूरती की छटा देखते ही बनती है.
गौरतलब है कि रिफाइनरी छठ घाट पर पांच से 10 हजार आदमी छठ पूजन को पहुंचते हैं. इस छठ तालाब की साफ-सफाई और रंग रोगन के लिए एक माह से 200 से भी ज्यादा मजदूर इस पर काम कर रहे हैं. अब आकर इसकी सुंदरता देखते ही बनती हैं.
प्राचीन प्रचलन से अलग छठ पर्व के पकवान बनाने के लिए अब कुछ घरों में गैस चूल्हे का प्रयोग होने लगा है लेकिन अभी भी अधिकांश लोग मिट्टी के चूल्हे और पेड़ की लकड़ी का प्रयोग पकवान बनाने में ज्यादा पवित्र मानते हैं, जिसको लेकर मिट्टी के चूल्हे की बिक्री रिकॉर्ड तोड़ हुई है मिट्टी के चूल्हे खरीद कर लोग घर ले जा रहे हैं. दूसरी ओर अब आधुनिक युग में यह भी देखा जा रहा है. कि पकवान लिए गेहूं और चावल की पिसाई लो आटा चक्की में करवाने लगे हैं. लेकिन कई ऐसे घर हैं जहां की महिलाएं परमपरागत तरीके से इकट्ठा होकर स्वयं उखल में और जाते में पीसकर पकवान बनाती हैं और इस अवसर पर जब महिलाओं के मुख से छठ से संबंधित गीत निकलते हैं तो लगता है कि पूरा का पूरा माहौल ही भक्ति में हो उठा है .
मान्यताओं के अनुसार छठ माता की पूजा के साथ सूर्य की उपासना आदमी के अंदर सकारात्मक ऊर्जा भर देता है. जानकार बताते हैं कि सदियों से छठ पर्व का पूजन पूरे नियम निष्ठा से करने की जो परम्परा शुरू हुई वो अब भी कायम हैं. इस पूजा की खास बात यह होती है इस पूजा में ना किसी मंत्र की आवश्यकता पड़ती है ना ही किसी पुरोहित की सभी लोग स्वयं ही अपना पूजन कर सकते हैं. बिहार और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से शुरू हुआ यह पर्व भारत वर्ष के अधिकांश हिस्सों में मनाया जाने लगा है, और धीरे-धीरे छठ पूजन का महत्व विदेशों में भी देखा जाने लगा है.
बहरहाल, जो भी हो चार दिवसीय छठ के दूसरे दिन बेगूसराय जिले का कण-कण भक्तिमय हो उठा है, छठ से संबंधित गीत और छठ से संबंधित खरीदारी और गतिविधि इलाका गुंजायमान है. आज छठ व्रत के दूसरे दिन रात्रि में छठव्रती खरना पूजन करेंगी और इसके साथ ही उनका उपवास शुरू होकर परसों उदयीमान सूर्य को अर्घ देने के साथ समाप्त हो जाएगा.
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