Abhi Bharat

बेगूसराय : स्लम एरिया के बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रही हैं उद्यमी पत्नी नीलम अग्रवाल

पिंकल कुमार

बेगूसराय शिक्षक दिवस पर हम आपको बेगूसराय के ऐसे शिक्षक से मिलवाते हैं जो ना ही पेशे से शिक्षक हैं और ना ही सरकार की सैलरी लेती हैं. हम बात कर रहे हैं बेगूसराय की उद्यमी परिवार की नीलम अग्रवाल की जो अपने व्यस्त शेड्यूल से समय निकालकर झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को तालीम और अध्यात्म की शिक्षा देने में जुटी हैं.

नगर निगम के झुग्गी झोपड़ी वाले इलाकों के बच्चे दिन भर कचरा चुनते है और उसे बेचकर कुछ पैसे उसके बदले उनको मिलते है. कुछ बच्चे इतने गरीब परिवार से हैं जिनको दो जून की रोटी तक मयस्सर नही है और पेट की आग बुझाने के लिए वो छोटी मोटी चोरी करते थे. लेकिन जब से नीलम अग्रवाल का साथ मिला है बच्चे चोरी या अन्य गंदे काम बंद कर सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं.

बेगूसराय जिला मुख्यालय के मारवाड़ी मोहल्ले की नीलम अग्रवाल हाउस वाइफ के साथ साथ अपने पति के व्यवसाय में भी बराबर से भागीदारी निभाती हैं और अपने व्यस्त शेड्यूल में से समय निकालकर बेगूसराय के स्लम एरिया झुग्गी झोपड़ी वाले जगह के बच्चों को तालीम और अध्यात्म की शिक्षा देने में लगी है. इसमें एक बात स्पष्ट तौर पर समझने की जरूरत है कि यह वही बच्चे हैं जो गरीबी के कारण शिक्षा से दूर हैं और गलत बहकावे में आकर अनैतिक कार्यों में संलिप्त होते थे. लेकिन, नीलम अग्रवाल ने झुग्गी झोपड़ी के लगभग 5 दर्जन बच्चों को ना सिर्फ शिक्षा देने के लिए चयन किया बल्कि उसे उचे संस्कार दे रही हैं. इस केंद्र पर बच्चों को नि:शुल्क रूप से पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ कटाई, सिलाई पेंटिंग, डांस की शिक्षा दी जा रही है ताकि वे अनैतिक कार्यों को छोड़कर कुछ ऐसी ट्रेनिंग ले लें ताकि भविष्य में अपने और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.

बच्चों में अच्छे संस्कार और अध्यात्म का ज्ञान देने के लिए बच्चों को रामायण महामृत्युंजय मंत्र हनुमान चालीसा सहित तमाम आध्यात्मिक और पौराणिक ग्रंथों का जाप सिखाया जाता है. नीलम बताती हैं कि अध्यात्म से जुड़ने से लोगों के अंदर शुद्ध भावना जन्म लेती है और बुराई निकल जाती है शुद्ध उच्चारण से आदमी का अंतर्मन पवित्र और निष्कपट हो जाता है. जिससे बच्चे आगे चलकर बेहतर भविष्य निर्माण कर सकेंगे. बच्चों को स्वच्छ भारत अभियान के बारे में भी समय-समय पर जानकारी दी जाती है ताकि अपने आस पड़ोस में फैले कचरे के ढेर को साफ-सुथरा कर मोहल्ले को स्वच्छ रखें. इतना ही नहीं बच्चे को देश के सभी महापुरुषों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है ताकि महापुरुषों के बारे में जानकर वह अपने आप को ढालने का प्रयास करें.

अपनी इस सोच और मुहिम के पीछे नीलम अग्रवाल ना ही किसी तरह का सरकारी सहयोग ले रही हैं और ना ही किसी तरह का तामझाम दिखा रही हैं. गुमनामी में एक बेहतर शिक्षक की भूमिका में शिक्षक दिवस के दिन नीलम अग्रवाल के इस मिशन को कहीं ना कहीं आत्मसात करने की जरूरत है. तभी हम एक बेहतर समाज के निर्माण की परिकल्पना कर सकते हैं.

You might also like

Comments are closed.