अरवल : अल्पावास गृह की व्यवस्था पर लोगों ने उठाये सवाल, डीआईजी को पत्र लिखकर जांच की मांग की, डीएम ने जांच कर बताया सबकुछ सुव्यवस्थित
नवलेश कुमार
अरवल के अल्पावास गृह की व्यवस्था पर स्थानीय लोगों ने सवाल खड़ा किया है. जिसको लेकर पिछले आठ माह से जांच के लिए स्थानीय लोग प्रशासनिक कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. वहीं अरवल जिलाधिकारी अल्पावास गृह को क्लीन चिट दे रहे हैं.
बता दें कि अरवल अल्पावास गृह वर्ष 2014 से सुर्खियों में है. जब तत्कालीन एसपी ने अरवल रेड लाइट एरिया में छापेमारी कर दर्जनों बालिग एवं नाबालिग लड़कियों द्वारा देह व्यापार कराने का मामला उजागर करते हुए अल्पावास गृह को सुर्खियों में लाया था. उस समय से अभी तक पुलिस ने दर्जनों लड़कियों को अल्पावास गृह में रखने के ख्याल से भेजा. किंतु आज उन लड़कियों में ज्यादातर लड़कियां का कोई अता-पता नहीं है. स्थानीय लोगों की माने तो मानव तस्करी एवं अल्पावास गृह मिलीभगत से लड़कियों को फर्जी कागजात बनवाकर छुड़वाने का खेल खेला गया है. इस संबंध में अरवल जिला मुख्यालय के जनकपुर धाम के लोगों ने आरक्षी उप महानिरीक्षक को पत्र प्रेषित कर कार्रवाई की मांग की है. मुहल्लेवासियों के नाम से भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि नगर थाना क्षेत्र के सराय मुहल्ला इन दिनों मानव तस्करी का अड्डा बना हुआ है. इस मोहल्ले के शशि कुमार नामक युवक द्वारा फर्जी आधार कार्ड, फर्जी वोटर आई कार्ड सहित अन्य फर्जी कागजातो के आधार पर मानव तस्करी की जाती है. उक्त व्यक्ति के द्वारा गैर लाइसेंसी नौटंकी पार्टी की आड़ में देह व्यापार का धंधा भी चलाया जाता है. शशि कुमार इस धंधे के आरोप में जेल भी जा चुका है. लोगों के अनुसार, शशि ने बेबी कुमारी नामक एक युवती को पिछले वर्ष कहीं से खरीदा था और उससे जिस्मफरोशी का धंधा करवाता था. मामले में पुलिस ने शशि और बेबी दोनो को गिरफ्तार भी किया था. जिसमे पहले शशि ने अपना बेल करवाया फिर महिला हेल्पलाइन से फर्जी कागजों के आधार पर बेेबी को भी मुक्त करा लिया था. उसके बाद बेबी कहां है इसका कोई अता-पता नहीं है. उसकी हत्या हो गई या किसी दूसरे के हाथों बेच दिया गया इसके बारे में किसी को कुछ भी जानकारी नहीं है.
वहीं ताजा मामला वर्ष 2017 के एक डीआईजी के जांच प्रतिवेदन से खुलासा हुआ है. जिसमें शशि नामक युवक पर लड़कियों से खरीद फरोख्त करने का आरोप लगा है. मामले के तूल पकड़ने के बाद अरवल जिलाधिकारी सतीश कुमार अल्पावास गृह की जांच करने गए और जांचोपरांत डीएम ने अल्पावास गृह में सबकुछ सुव्यवस्थित ढंग से संचालित होना बताता. वहीं स्थानीय लोगों द्वारा डीआईजी को पत्र लिखे जाने के सवाल के जवाब में उन्होंने एसपी से बात कर पुलिस की जांच पर चर्चा करने के बाद कुछ भी बोलने की बात कही.
बहरहाल, मामला जांच का है किंतु इतना तो तय है कि अल्पावास गृह से मुक्त करायी गए लड़कियों का आज कोई अता-पता नहीं है. सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर मुक्त करायी गयी लड़कियां ना तो अपने परिजन के पास पहुंची और ना ही अल्पावास गृह में है तो आखिर वे गई तो कहां गयी ? अब देखना है कि प्रशासन जांच कर मामले पर दूध का दूध पानी का पानी कर पाता है या नहीं.
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