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राँची : ओफ्थाल्मिक फोरम के तत्वावधान में कॉर्निया वर्क शॉप आयोजन

दुर्गेश मिश्रा

राँची में शनिवार को आईएमए के सभागार में राँची ओफ्थाल्मिक फोरम के तत्वावधान में कॉर्निया वर्क शॉप आयोजन किया गया. कॉर्नियल ट्रांस्प्लांट सर्जरी की नयी विधियों पर भी विस्तृत चर्चा की गई. कॉर्निया में होने वाले विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शन एवं बिमारियों पर भी चर्चा की गई. इस सर्जरी ने समूचे चिकित्सा जगत को इस नई सोच का विकल्प दिया है कि बिना पूरा कॉर्निया बदले आंखें की खोई रोशनी लौटाई जा सकती है. इस विधि से नेत्र प्रत्यारोपण में टांके बहुत कम होते हैं.

इस सेमिनार में कोलकाता के नामी कॉर्निया सर्जन डॉ समर बसाक, डॉ सोहम बसाक और डॉ निधि गडकर कश्यप ने राँची के प्रतिभागी नेत्र चिकित्सकों को नेत्र प्रत्यारोपण की नयी तकनीक के बारे में बताया. इसके अलावा जमशेदपुर की डॉ भारती शर्मा, डॉ. नितिन गणेश धीरा, डॉ रवि बर्भया, बोकारो के डॉ ज़ाहिद सिद्दीकी, डॉ आलोक कुमार एवं राँची के डॉ. बी.पी. कश्यप, डॉ. भारती कश्यप, डॉ एके ठाकुर, डॉ राजीव कुमार, डॉ डॉली टंडन, डॉ उत्पला चक्रवर्ती और डॉ राहुल कुमार ने भी अपने – अपने विचार प्रस्तुत किए.

सेमिनार में कोलकाता से आये कॉर्निया विशेषज्ञ डॉ समर बसाक ने कहा कि नेत्र प्रत्यारोपण की नई विधि लैमेलर केराटोप्लास्टी जैसे डीसेक व डीमेक सर्जरी में बिना पूरा कॉर्निया बदले सिर्फ कॉर्निया की अंदरूनी खराब परत को हटा कर नेत्र दाता की कॉर्निया की स्वस्थ अंदरूनी परत को प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. यह ख़ास कर के मोतियाबिंद सर्जरी के बाद कभी कभी कुछ कारण वश ख़राब हुई कॉर्निया की स्तिथि में या केराटोकोनस बीमारी में या कॉर्निया की जन्मजात बिमारियों में विशेष फायदेमंद होता है. डॉ सोहम बसाक ने कॉर्निया में होने वाले इन्फेक्शन के कारणों एवं उपचार पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने नेत्र प्रत्यारोपण के बाद मरीजों की आँखों की देखभाल किस प्रकार की जाए उसपर चर्चा की. डॉ निधि गडकर कश्यप ने कहा आंखों में एसिड से ज्यादा क्षारीय चीजों से नुकसान ज्यादा होता है. जैसे कि पोचरा यानी चूना, सीमेंट, अमोनिया, घर में सफाई के लिए इस्तमाल होने वाला डिटर्जेंट एवं आतिशबाजी. इन क्षारीय चीजों से आंखों की कॉर्निया के अन्ध्रुह्नी सतह पर काफी नुकसान पहुंचता है. अम्लीय चीजें जैसे बैटरी का एसिड ,विनेगर, नेल पॉलिश रिमूवर, घर, स्विमिंग पूल एवं फैक्ट्री साफ करने का एसिड इत्यादि से भी आंखों के कॉर्निया पर काफी नुकसान पहुंचता है. स्पेशल सेफ्टी गोगल्स का इस्तेमाल करें. समय पर इलाज नहीं होने से रोशनी जा सकती है. आँखों में केमिकल के जाने की स्थिति में आँखों को 2-3 लीटर पानी से धोये. कॉर्निया पर नुक्सान पहुचने की स्थिति में फ्लेसेंटा के अन्ध्रुह्नी सतह (एमनियोटिक मेम्ब्रेन) के प्रत्यारोपण के महत्व को भी बताया.

वहीं राँची ओफ्थाल्मिक फोरम की सेक्रेटरी डॉ भारती कश्यप ने बताया कि 15 लाख लोगों को कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए इंतजार कर रहे हैं. डिमांड और सप्लाई में बहुत बड़ा अंतर है. 25 – 30 हज़ार कॉर्निया हीं हर साल हमारे देश में दान स्वरुप आती है. जिसका 60% नेत्र प्रत्यारोपण में उपयोग होता है. नेत्र दान के फॉर्म को भरने से यह कमी नहीं पूरी हो सकती है. ज्यादा जरूरी है मृतक के नेत्र दान के लिए उनके परिजनों को प्रेरित करना और परिवार में किसी की मृत्यु होने पर परिवार के सदस्यों को मृतक के नेत्र दान के लिए प्रेरित करना. हॉस्पिटल कॉर्निया रिट्रीवल प्रोग्राम के अंतर्गत ICU वाले अस्पतालों में आई डोनेशन काउंसलर रख कर नेत्र दान को बढ़ावा दिया जा सकता है. आई डोनेशन काउंसेलर मरनासन्न मरीजों के परिजनों को सहानुभूतिपूर्ण तरीके से प्रेरित करते हैं. डॉ बी पी कश्यप ने कहा कश्यप मेमोरियल आई बैंक झारखंड-बिहार का पहला एक्टिव आई बैंक है जहाँ साल में 25 से ज्यादा नेत्र प्रत्यारोपण होते हैं. आई बैंक एसोसिएशन इंडिया के मुताबिक वर्ष में 25 या उससे ज्यादा प्रत्यारोपण करने वाले आई बैंक को एक्टिव श्रेणी में रखा गया है.

वहीं इस मौके पर मौजूद स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आयुष्मान योजना जो मोदी केयर के नाम से जाना जा रहा है. 15 अगस्त से यह पूरे देश में लागू होने जा रहा है. इस योजना के अंतरगत वेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सम्पूर्ण देश में लगभग 1.5 लाख वेलनेस सेंटर खोले जायेंगें. इन वेलनेस सेंटर का दूसरे टायर के निजी अस्पतालों के साथ टाईअप होगा. जिसके तहत गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को वहां रेफर किया जा सकेगा. मुख्यमंत्री रघुबर दास के नेत्रित्व में BPL परिवारों की संख्या 25 लाख से 58 लाख हो गई है. इस योजना के तहत सरकार के द्वारा एक निश्चित राशि हर BPL परिवार को दी जाएगी. आयुष्मान योजना के तहत झारखण्ड में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप कर गरीबों की कॉर्निया जनित दृष्टिहीनता को दूर करने का प्रयास करेंगे. हम चाहते हैं कि नेत्र विशेषज्ञ कॉर्निया की सुपर स्पेशलिटी की पढ़ाई भी पढ़ें क्योंकि ज्यादातर जो नेत्र विशेषज्ञ हैं वह मोतियाबिंद की पढ़ाई पढ़ते हैं. क्योंकि इस दिशा में उन्हें लगता है कि ज्यादा पैसा है और ज्यादा सफलता है. कॉर्निया जनित दृष्टिहीनता के मरीजों के इलाज के लिए कोई आगे नहीं आता है. मगर आयुष्मान योजना की वजह से सरकारी क्षेत्र के अलावा निजी क्षेत्र भी आगे आएंगे. जिस वजह से हमारे राज्य में विशिष्ट प्रशिक्षित चिकित्सकों के पलायन में कमी आएगी और हमारे राज्य के गरीब मरीजों को भी उच्च श्रेणी की चिकित्सा व्यवस्था हम उपलब्ध करा पायेंगें. ज्यादातर युवा चिकित्सक विदेश चले जाते हैं ऐसे में उन्हें डॉ निधि गडकर कश्यप से उम्मीद है कि वह झारखंड में अपनी सेवा दे और दृष्टिहीनों के इलाज में अपना योगदान दें. कश्यप मेमोरियल आई बैंक में संयुक्त बिहार और झारखंड का पहला नेत्र प्रत्यारोपण किया है और आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक्टिव बैंकों की श्रेणी में आता है. यह एक एक्टिव आई बैंक है हम इसे भी मदद करेंगे और जो नए आई बैंक खुलेंगे जो एक्टिव आई बैंक की श्रेणी में आएंगे हम उनको भी मदद करेंगे. अतिथि वक्ताओं को स्वास्थ्य मंत्री ने स्मृति चिन्ह एवं शॉल दे कर सम्मानित किया. सेमिनार में राँची ओफ्थाल्मिक फोरम के वरिष्ठ सदस्य डॉ विमल सहाय को भी सम्मानित किया गया. वहीं राँची ओफ्थाल्मिक फोरम के प्रेसिडेंट एसआर सिंह, सेक्रेटरी डॉ भारती कश्यप सहित नेत्र चिकित्सकों ने माननीय स्वास्थ्य मंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट किया.

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