चाईबासा : पूर्व मंत्री श्यामाचरण तुबिद की रांची में इलाज के दौरान हुआ देहांत
संतोष वर्मा
चाईबासा निवासी और भाजपा के झारखंण्ड प्रदेश प्रवक्ता सह टीएससी सदस्य जेबी तुबिद के पिता एवं कांग्रेस पार्टी के प्रारंभिक नेता, जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मंत्री श्यामाचरण तुबिद की गुरूवार को रांची मेडिका में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई.
बता दें कि वर्ष 1965 में वे चाईबासा जिला परिषद के सदस्य चुने गए. इसके बाद वे दो बार बिहार विधान परिषद के सदस्य बने और एक बार मंत्री भी रहे. वे बिहार लोक सेवा सेवा आयोग के सदस्य भी कई वर्षों तक थे. श्यामाचरण तुबिद जिस जमाने में कांग्रेस के नेता हुआ करते थे, बागुन सुंब्रुई उनके बाद के नेता बने. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ लड़ाई में सक्रियता से शामिल हुए. तब वे पटना कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे. उन्होंने ब्रिटिश सरकार को चकमा देकर पटना से राँची की पदयात्रा कर लोगों को जगाने का काम किया. इस कारण वे तीन महीने तक कॉलेज नहीं जा सके. वे ब्रिटिश संसद में बम फेंकने वाले बटुकेश्वर दत्त के निकट सहयोगी रहे. महात्मा गांधी के आह्वान पर विदेशी कपड़ों की होली जलायी और अंग्रेजी सरकार में टेक्सटाइल इंस्पेक्टर की अपनी सरकारी नौकरी छोड़ कर आज़ादी की लड़ाई में शामिल हो गए.
साल 1947 में वे चाईबासा डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के पहले अध्यक्ष बने. 1954 में बिहार विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए और साल 1961 में बिहार सरकार में जनजातीय समुदाय से पहले मंत्री बनाए गए. तब उन्हें वन व पंचायती राज मंत्री बनाया गया था. वे दक्षिण बिहार (झारखंड) क्षेत्र के पहले व्यक्ति थे, जिन्हें मंत्री बनने का सौभाग्य मिला. 1969 से 1973 तक वे बिहार लोक सेवा आयोग के चेयरमैन रहे. पंचायती राज व्यवस्था में सुधारों के लिए बनी बलवंत राय मेहता कमेटी में उन्होंने महत्वपूर्ण सलाहकार की भूमिका निभाई. उनकी उम्र 98 साल थी. इसके बावजूद वे देश-दुनिया में चल रही गतिविधियों पर पैनी नज़र रखते थे. अपने पुत्र जेबी तुबिद से वे राजनीतिक जानकारियाँ लिया करते थे और चाईबासा स्थित अपने आवास में लोगों से मिलना उनकी दिनचर्या में शामिल थी. वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं.
Comments are closed.