सारण का गौरव माने जाने वाला जामो अस्पताल खंडहर में तब्दील, सरकार और प्रशासन बेपरवाह
मनीष कुमार
सीवान के गोरियाकोठी प्रखंड स्थित जामो बाजार का हॉस्पिटल आज अपनी दशा पर आंसू बहाने पर मजबूर है. आजादी के पहले लगभग डेढ़ सौ साल पुराना ये हॉस्पिटल बहुत सुविधायुक्त और सुसज्जित हॉस्पिटल था. पुराने लोगों की माने तो सन 1885 में इसका निर्माण हुआ था. उस समय यह हॉस्पिटल जिला नहीं बल्कि सारण प्रमंडल क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल हुआ करता था. जिसकी कभी सारण जिले का नंबर वन हॉस्पिटल में गिनती होती थी.
इस हॉस्पिटल में हर चीज की सुविधा उपलब्ध थी. पोस्मार्टम, आपरेशन थियेटर, इमरजेंसी में इलाज की हर सुविधा थी. यहां सारण के आलावा पड़ोसी जिले मोतिहारी चंपारण आदि कई जिले के मरीज इलाज के लिए आते थे. जानकारों की माने तो इस हॉस्पिटल में कई लेखक नेता महापुरुषों का इलाज हुआ है. कहा जाता है कि देश के महान कवि राहुल शंकराचार्य का इलाज़ इस हॉस्पिटल में 15 दिनों तक चला था. ये हॉस्पिटल किसी समय सारण जिले का गौरव से कम नहीं था. लेकिन, आज ये हॉस्पिटल अपनी दशा पर आंसू बहा रहा है. हॉस्पिटल पूरी तरह जर्जर हो चूका है. हॉस्पिटल धवस्त होने के कगार पर है, इस हॉस्पिटल में न डॉक्टर हैं और न ही इलाज. यहां की चिकित्सा सुविधा भी पूरी तरह से नदारद है. जंगली जानवरों का बसेरा बन चुका है. रात में ये हॉस्पिटल भूतबंगला जैसा मालूम पड़ता है.
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इस हॉस्पिटल में पहले जैसा इलाज़ की सुविधा नहीं मिलने से मरीजो को अब काफी परेशानी होती है. एक चिकित्सक की तैनाती आज भी है जो कभी-कभी हीं इस हॉस्पिटल में आते है. इस हॉस्पिटल में आज तक बिजली भी नहीं पहुची है. आज भी यहाँ अंग्रेजो के जमाने का लगा हाथ और रस्सी के सहारे चलाने वाला पंखा चलता है. आस-पास के मरीज भी इस हॉस्पिटल में जाने से डरते है क्योंकि इसका भवन इतना जर्जर हो चूका है कि कभी भी ध्वस्त हो सकता है. वहीं गन्दगी और झाड़ियों के कारण यहाँ जहरीले कीड़े-मकोड़े का भी डर बना रहता है. आसपास के लोगों को छोटी-छोटी बीमारी होने पर प्राइवेट क्लीनक का सहारा लेते हैं और इमरजेंसी मरीजो को 30 किलो मीटर दूर सीवान ले जाया जाता है. कितने मरीज तो सीवान ले जाने के क्रम में दम तोड़ देते हैं.
चुनाव के समय इस क्षेत्र में नेताओ का दौरा होता है तो लोग हॉस्पिटल के मुद्दा उठाते हैं और नेता भी इस हॉस्पिटल को मॉडल हॉस्पिटल बनवाने का आश्वासन दे कर चले जाते है. लेकिन चुनाव बाद विजयी प्रत्याशी सब कुछ भूल जाते है और कभी इस क्षेत्र में भ्रमण करने भी नहीं आते हैं.
स्थानीय लोगो ने कई बार सीएस को आवेदन देकर हॉस्पिटल को चालु कराने की गुहार लागई है लेकिन उसपर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. पिछले साल स्थानीय लोगों ने मिलकर एक विशाल जन-संवाद सभा का आयोजन रखा जिसमे महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल एंव गोरियाकोठी के विधायक सत्यदेव प्रसाद सिंह इस सभा के मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत किया. दोनों नेताओ ने इस ऐतिहासिक हॉस्पिटल की बदहाली को देखते हुए अपने अपने मद से 25-25 लाख रुपया हॉस्पिटल को रेफरल हॉस्पिटल में बनाने और भवन निर्माण के लिए ऐलान किया. सांसद ने तत्काल एक एम्बुलेंस भी देने की घोषणा की.लेकिन, आठ माह गुजर जाने के बाद भी तुरन्त मिलने वाला एम्बुलेंस नही पहुँच सका है और ना ही भवन निर्माण के लिए राशि का आंवटन हुआ है.
लोगो का कहना है कि पिछले 15 सालो से जिस तरह आश्वासन मिला. इस बार उम्मीद जगी थी लेकिन, फिर वही हाल हुआ जो पिछले 15 सालो से होता रहा है.
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