महाराजगंज में नप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी के लिए जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू, चुनौतियों भरा होगा नयें नप का कार्यकाल
कामाख्या नारायण सिंह
सीवान के महाराजगंज अनुमंडल में नगर पंचायत चुनाव के मतगणना के बाद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिये अब जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो गयी है. नवनिर्वाचित सदस्यों को अपने पक्ष में करने के लिए लोभ-लालच भी दिया जा रहा है. वहीं इसबार के गठित नगर पंचायत को अनेको समस्याओं से भी जूझना होगा लिहाजा,नव निर्वाचित सदस्यों के बीच अध्यक्ष पद के लिए कौन सदस्य कारगर होगा जो नप क्षेत्र की समस्याओं को निबटाने में सक्षम होगा इसका भी मंथन चल रहा है. नगर पंचायत क्षेत्र में अनेकों समस्याएं मुंह बाये खड़ी है जिससे निबटना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है.
कौन-कौन सी हैं मुख्य समस्याएं :
कचड़ा प्रबंधन, जल जमाव, अतिक्रमण व स्वच्छ जल आदि शहर के लिए मुख्य समस्याएं है जिससे निबटने के लिये नगर पंचायत के नयी सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है.
कचरा प्रबंधन :
शहर में कचरा प्रबंधन का अभाव है. भले ही नगर पंचायत एक बेहतर कचरा प्रबंधन का दावा करता हो लेकिन, धरातल पर वैसी बात नही है. कचरा का यत्र-तत्र डाला जाता है. वार्ड संख्या एक में स्थित अनुग्रह नारायण उमाशंकर सिंह महिला महा विद्यालय जाने वाली सड़क के किनारे विगत दो माह पूर्व कचरा फेंका जा रहा था. जिसमें वार्ड के निवासी व विद्यालय प्रबंधन कमिटी ने विरोध किया था. मामले में प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी. कचरा प्रबंधन नगर पंचायत के लिये अतिआवश्यक है.
नगर पंचायत में जल जमाव :
शहर में जल जमाव की स्थिति एक विकट समस्या है. छोटे क़स्बे की बात तो अलग ही है. खुद महाराजगंज अनुमंडलीय थाना सालो भर जल जमाव के गिरफ्त में रहता है. जिससे अधिकारी से लेकर आम जनता को भी परेशानी झेलनी पड़ती है. इससे निबटना भी नगर पंचायत के लिए चुनौती है.
शहर के सड़कों पर अतिक्रमण :
शहर में मुख्य सड़क से लेकर मध्य व छोटी सभी सड़के अतिक्रमण की शिकार है. जिससे निबटना अति-आवश्यक है.
नप में स्वच्छ पेयजल की समस्या :
शहर में स्वच्छ पेयजल सप्लाई के लिये मुख्य सड़क में पाइप डाला गया है. लेकिन मोहल्लों की सड़कों में वितरणी पाइप नहीं बिछाया गया है. जिससे इसका लाभ पंचायत क्षेत्र की जनता को नही मिल पा रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी :
महाराजगंज नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी बसंत कुमार का कहना है कि नगर पंचायत की नयी सरकार के गठन के बाद समस्याओं पर बिंदुवार चर्चा कर समस्याओं से निबटाने के लिये योजनाएं प्रस्तावित की जायेगी. स्वीकृति मिलते ही विकास कार्य को प्रगति दी जायेगी.
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