सीवान : बस स्टैंड बंदोबस्ती अनियमितता मामले में पूर्व नप सभापति व उप सभापति को मिली जमानत
अभिषेक श्रीवास्तव
सीवान नगर परिषद द्वारा शहर के मजहरूल हक बस स्टैंड की बंदोबस्ती में मनमानी व अनियमितता मामले में आरोपित नगर परिषद की पूर्व सभापति अनुराधा गुप्ता व पूर्व नगर उप सभापति कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह को बड़ी राहत मिली है. गुरूवार को सीवान मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी अरविन्द सिंह के न्यायालय में नगर थाना काण्ड संख्या 626/2017 में आत्मसमर्पण किये जाने के बाद सीजेएम ने दोनों को नियमित जमानत दे दी. अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह व पंकज सिंह ने जमानत के बिंदु पर बहस किया.
बता दें कि इससे पूर्व ही दोनों को इसी मामले में एडीजे तृतीय के न्यायालय ने 31 जनवरी को अग्रिम जमानत दिया था. विभागीय जांच के बाद डीएम महेंद्र कुमार के आदेश पर नगर सभापति अनुराधा गुप्ता और नगर उपसभापति कर्णजीत सिंह पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने के बाद प्राथमिकी दर्ज हुई थी. मजहरुल हक बस पड़ाव बन्दोबस्ती व लेखापाल सह प्रधान लिपिक प्रेम कुमार गुप्ता द्वारा 40 वर्ष सेवा के बाद भी सेवानिवृत्त नहीं करने के मामले में सारण आयुक्त की जांच में मामला सही पाए जाने के बाद डीएम को भेजे पत्र में प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया था. जिसके बाद डीएम महेंद्र कुमार के आदेश पर कार्यपालक पदाधिकारी बसंत कुमार ने मामला दर्ज कराया था.
इसके बाद मामले ने काफी तूल पकड़ा था. इन दोनों ने खुद को निर्दोष बताते हुए विभाग में पुनः जांच की बात कही थी. जिसके बाद सारण आयुक्त को जांच का आदेश मिला था. इन दोनो ने बताया था कि बस स्टैंड का डाक नहीं हो पाने और वसूली कम होने के कारण बोर्ड ने सात अप्रैल 2011 को यह निर्णय लिया था. जिसमे 20 पार्षदों की उपस्थिति में फैसला लिया गया था. इसमे छ: तिथियों में डाक के लिए किसी संवेदक के भाग नही लिए जाने के कारण यह बोर्ड में सर्वसमम्मति से लिया गया था. जिसके बाद 21 अप्रैल 2011 को तत्कालीन ईओ जयशंकर प्रसाद के द्वारा अपने पत्रांक 615 द्वारा प्रधान सचिव को 10 प्रतिशत राशि कम कर डाक करने की अनुमति मांगी थी. जिसके बाद विभाग द्वारा 19 मई 2011 को विभाग के उपसचिव द्वारा अपने पत्रांक 2772 द्वारा सूचित किया गया. जिसके अनुसार नगर परिषद को इस बन्दोबस्ती हेतु सक्षम बताया और कहा कि वह स्वयं पक्रिया का पालन कर निर्णय ले सकता है.
अपने जमानत के बाद आरोपित पूर्व सभापति अनुराधा गुप्ता व उपसभापति ब्यास सिंह ने कहा कि वे लोग इस मामले में निर्दोष हैं. सारण कमिश्नर के यहाँ मामले की पुनः जांच की जा रही है. लेकिन कानून व न्यायालय का सम्मान करते हुए उन्होंने जमानत कराया है. उन्हें पूरा विश्वास है कि न्याय जरूर मिलेगा और वे बरी होंगे.
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